समाधि प्रथम भाग – माया स्वतः का परिकल्पित भ्रम

यह फ़िल्म इस बात का अन्वेषण है कि क्यों समाधि – सभी आत्म स्तरों का मिलन – पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक है।

समाधि द्वितीय भाग – समाधि , आपके चिंतन से परे!

अंतत: अवर्णनीय होते हुए भी, यह फ़िल्म इस बात की ओर संकेत करती है कि हमारी वास्तविक प्रकृति या समाधि की अनुभूति क्या है।

समाधि भाग 3, (पथहीन पथ)

तुम ही पथ हो और पथ की हर बाधा भी तुम ही हो। समाधि का पथ ऐसा मार्ग नहीं है जहाँ आप किसी मंज़िल तक पहुँचने के लिए क़दम दर क़दम आगे बढ़ाते हैं। भ्रम का मिटना पथ है, जो दरअसल यह जागरूकता है कि आप कौन, कहाँ और क्या हैं।